

बिलासपुर – जैसे ही दिवाली और अन्य त्योहारों का मौसम आता है, खाद्य एवं औषधि प्रशासन अचानक सक्रिय हो जाता है और मिठाई दुकानों पर दबिश देकर नमूने संकलित करता है। इस दौरान विभाग प्रचार करता है कि मिठाई सुरक्षित है, लेकिन वास्तविक स्थिति कुछ और ही है।वास्तव में, शहर और ग्रामीण क्षेत्रों की बड़ी डेयरियों में दूध, पनीर और खोवा में बड़े पैमाने पर मिलावट की खबरें आम हैं। नकली पनीर, मिलावटी दूध और घटिया खोवा हर रोज़ बाजार में पहुंच रहा है, जिससे नागरिकों का स्वास्थ्य जोखिम में है। बावजूद इसके, खाद्य एवं औषधि प्रशासन इन गंभीर मामलों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता।
वर्तमान समय में विभाग की टीम होटल और मिठाई दुकानों में सैंपलिंग कर रही है, लेकिन यह प्रक्रिया सिर्फ औपचारिकता बन कर रह गई है। कर्मचारियों की त्वरित दौड़धूप और नमूने संकलन के बावजूद, पिछले वर्षों में किसी भी बड़ी कंपनी या डेयरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।विशेषज्ञों का कहना है कि केवल मिठाई दुकानों पर अभियान चलाकर और त्योहार के समय निरीक्षण कर प्रशासन अपने दायित्वों से पीछे हट रहा है। असली समस्या डेयरियों में है, जहां नकली और घटिया उत्पाद बन रहे हैं और सीधे बाजार में पहुंच रहे हैं। इससे नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में है, जबकि प्रशासन केवल सैंपलिंग का औपचारिक प्रदर्शन करता है।
स्थानीय लोग और उपभोक्ता अब खाद्य एवं औषधि प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि त्योहारों तक सीमित औपचारिकता छोड़कर, डेयरियों और बड़े उत्पादन केंद्रों में मिलावट रोकने के लिए ठोस, नियमित और सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि दूध, पनीर और अन्य डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके।