

बिलासपुर :- छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी दरगाह का दर्जा प्राप्त बिलासपुर जिले के सीपत के नजदीक ग्राम पंचायत लूतरा में हजरत सैयद बाबा इंसान अली शाह की वर्षों पुरानी मजार है। इस धार्मिक और पर्यटन स्थल में इस वर्ष भी बड़े ही धूमधाम के साथ सालाना उर्स मनाया गया।
9 अक्टूबर से शुरू इस वर्ष पाक का समापन 12 अक्टूबर को देश दुनिया की भलाई की दुआओं के साथ इसका समापन हो गया। पहले दिन परचम कुशाई (झंडा चढ़ाने)के साथ उर्स का आगाज किया गया। इसके बाद संदल चादर निकाला गया और शाम को ऑल इंडिया नातिया मुशायरा का आयोजन किया गया। इसी तरह दूसरे दिन देश के मशहूर प्रवचनकर्ता मुंबई निवासी सैय्यद अमीनुल कादरी की तकरीर (प्रवचन) हुई जिसमें उन्होंने सर्व समाज से बच्चों की शिक्षा पर जोर देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर अपने बच्चों की अच्छी पढ़ाई कराएंगे,गरीब बच्चों को गोद लेकर उनकी पढ़ाई पूरी करेंगे तो समाज में इससे बड़ा कोई और काम नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें दरगाहों में चादरें या फूल चढ़ाने से कोई दिक्कत नहीं है मगर फूल चादर से ज्यादा प्राथमिकता बच्चों की अच्छी तालीम देने की है।उन्होंने ईमानदारी की कमाई,झूठ बोलने से बचने,हक हलाल की कमाई की विशेष रूप से जानकारी दी।
कार्यक्रम के तीसरे दिन देश के मशहूर कव्वाल मुंबई निवासी मुज्तबा अजीज नाजा और राजस्थान के दिलशाद इरशाद साबरी ग्रुप ने सूफी कलाम पेश कर लोगों का दिल जीत लिया। पूरी रात चली कव्वाली में हर पल श्रद्धालु और दर्शक झूमते रहे।
कार्यक्रम में मौजूद मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सलीम राज ने आए हुए तमाम श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाले उर्स से पहले एक बेहतरीन कव्वाली का स्थल तैयार किया जाएगा जिससे बरसात,धूप सर्दी से दर्शकों को परेशानी ना हो।
कार्यक्रम के चौथे और अंतिम दिन देश दुनिया में रहने वाले तमाम लोगों की अच्छी भलाई की यहां दुआ की गई। सारे जहां में अमन चैन बना रहे, लोगों को दुख तकलीफों से मुक्ति मिले, हर इंसान की जायज मांगे पूरी हो, असाध्याय बीमारियो से लोगों को राहत मिले, दुआ में उठे हजारों हाथों ने सभी के जीवन में सुख समृद्धि और सम्पन्नता आए यही मांग की गई। कुल का छींटा भी मौजूद श्रद्धालुओं के ऊपर किया गया। इंतेजामिया कमेटी दरगाह लूतरा शरीफ द्वारा पूरे चार दिनों तक चौबीस घंटे यहां शाकाहारी लंगर का इंतजाम किया गया था जिसमें बड़े सुकून के साथ लोगों को बैठकर भोजन कराया जाता रहा। हर प्रांत से यहां मन्नती चादरें पेश की जाती रही और पूरे दिन यहां मेला लगा रहा।